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एण्टी रैगिंग कमेटी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्यूलेषन (Curbing The Menace of Ragging In Higher Educational Institutions, 2009) को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय प्रबन्ध समिति द्वारा 13 जनवरी 2015 को एण्टी रैगिंग कमेटी का गठन किया गया। जिसका उद्देश्य छात्र/छात्राओं से सम्बन्धित किसी भी तरह के मानसिक, शारीरिक या यौन प्रताड़ना अथवा किसी भी अवांछनीय कार्य हेतु मजबूर किये जाने जिससे की मानवीय गरिमा प्रभावित होती है - का पूर्णत एवं सख्ती के साथ रोकथाम करना सुनिश्चित करना है, जिसके लिए कमेटी द्वारा निम्न कार्य किये जाते है –
1. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्यूलेषन - 2009 की नियमावली का पूर्णत अनुपालन।
2. महाविद्यालय में समय-समय पर रैगिंग करने वाले छात्र/छात्राओं का निरीक्षण करना।
3. रैगिंग करने वाले छात्र/छात्राओं पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करना।
4. महाविद्यालय में आने वाले छात्र/छात्राओं का आई-कार्ड का निरिक्षण एवं अन्य छात्र/छात्राओं का परिसर में प्रवेश पूर्णत वर्जित करना।
5. प्रवेश लेने वाले छात्र/छात्राओं को प्रवेश के समय रैगिंग निषेध के बारे में पूर्ण जानकारी प्रदान कर उक्त छात्र/छात्रा से इस आशय का शपथ-पत्र लिया जाता है।

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अनुसूचित जाति/जनजाति कमेटी

छात्र/छात्राओं में समानता, न्याय एवं बधुत्व की भावना के संचार एवं बिना जाति भेद-भाव के शिक्षा एवं शिक्षण व्यवस्था में उनकी समस्याओं के समाधान हेतु महाविद्यालय में अनुसूचित जाति/जनजाति कमेटी कार्यरत है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य दुर्बल वर्गो के शिक्षा एवं अर्थ सम्बन्धी हितो की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा, और सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषणसे उसकी संरक्षा करेगा। साथ हीअनुच्छेद 46 में दिये गये प्रावधानों का पूर्णत पालन सुनिश्चित करेगा, जिसके लिए उक्तकमेटी द्वारानिम्न कार्य किये जाते है -
1. कमजोर वर्गों,अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के छात्र/छात्राओं के कल्याण हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वन करते हुए लाभ पहुँचाना।
2. वंचित वर्ग के छात्र/छात्राओं को विभिन्न पाठ्यान्तर क्रिया-कलापों में सहभागिता हेतु प्रोत्साहित करना।
3. समाज कल्याण विभाग द्वारा उपलब्ध विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान कर लाभान्वित करना।
4. उपरोक्त छात्र/छात्राओं के कल्याण हेतु कार्यक्रम तैयार करना।
5. महाविद्यालय में उपलब्ध सीटों के सापेक्ष इस वर्ग को प्रवेशमें सामान्य अवसर उपलब्ध कराना।
6. वंचित वर्ग के छात्र/छात्राओं कीप्रगति को सुनिश्चित करते हुए उन्हें सामाजिक विकास की सामान्य धारा में शामिल करना।

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शिकायत निवारण कमेटी

सूचना तकनीकि के प्रसार के इस युग में महाविद्यालय में सुशासन एवं छात्र हितार्थ के उद्देश्य से विभिन्न माध्यमों के माध्यम से शिकायत प्राप्त कर एवं उनका त्वरित निस्तारण करने हेतु महाविद्यालय में एक शिकायत कमेटी का गठन किया गया जो सुचारू रूप से कार्यरत है, जिसकी कृत कार्यवाही को महाविद्यालय प्रबन्ध समिति समय-समय पर संज्ञान में लेते हुए दिशा-निर्देश प्रदान करती है। समिति के मुख्य उद्देश्य निम्नवत् हैं -
1. छात्र-छात्राओं की शिकायत प्राप्त करने हेतु गोपनीय “शिकायत पेटिका” एवं शिकायत हेतु मोबाइल नं0 उपलब्ध कराना।
2. छात्र-छात्राओं की शिकायत प्राप्त होने के पश्चात् निर्धारित समयावधि में निस्तारण करना।
3.शिकायत निस्तारण के उपरान्त सम्बन्धित से फीडबैक प्राप्त करना।
4.शिकायत निस्तारण की असमर्थता की स्थिति में उच्चाधिकारियों को अग्रसारित करना।
5.छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों के बीच आसान एवं पारदर्शी संवाद स्थापित करना।
6.प्राप्त शिकायतों एवं शिकायतकर्ता की गोपनीयता बनायें रखना।

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पुरातन छात्र समिति

महाविद्यालय की स्थापना से वर्तमान तक उत्तीर्ण हुए छात्र/छात्राओं की विद्यालय की प्रगति एवं शैक्षिक उन्नयन में उनकी राय-शुमारी प्राप्त करने हेतु तथाछात्र हितार्थ के उद्देश्यसे विभिन्न आयोजनों में उनकी भागीदारी हेतु पुरातन छात्र समिति का गठन सन् 2014 में किया गया जिसकी बैठक प्रत्येक वर्ष दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में की जाती है, बैठक में महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्य, प्राचार्य, प्राध्यापक गण एवं इस महाविद्यालय में अध्ययन कर चुके पूर्व छात्र/छात्राओं को आमंत्रित किया जाता। समिति के मुख्य उद्देश्य निम्नवत् हैं -
1. महाविद्यालय की प्रगति हेतु विचार-विमर्श करना।
2. छात्र-छात्राओं के शैक्षिक’ उन्नयन हेतु योजनाओं का निर्धारण करना।
3. अध्ययन कर चुके पूर्व छात्र/छात्राओं की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करना।
4. पूर्व छात्र छात्राओं के अनुभवों के आधार पर वर्तमान छात्र/छात्राओं का मार्गदर्शन करना।

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सांस्कृतिक कार्यक्रम कमेटी

शिक्षा समाज के सभी स्तरोंपर सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशालीमाध्यम है, शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य लोगों को प्रजातात्रिंक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष्य समाज के लिए तैयार करना है, शिक्षण संस्थनों मेंसमाज उपयोगी उत्पादक कार्यानुभव क्रियान्वित करने का उद्देश्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अर्न्तनिहित है, इसलिए सांस्कृतिक कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग ही नहीं है बल्कि अन्य विषयों से भी अंर्तसम्बध रखता है, राष्ट्रीयशिक्षा नीति 1986 की रूपरेखा के अनुसार शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ने हेतु विषेश बलदिया गया है, साथ हीछात्र/छात्राओं में निहित प्रतिभा को खोजना एवं उसको रचनात्मक रूप से अभिव्यक्त करने की कला का विकास करना है। इसकी प्राप्ति सीखने-सिखाने की प्रक्रिया एवं पाठ्यक्रम के पुर्नअनुश्थापन तथा अध्यापकों को विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने की अभिप्रेरणा द्वारा हो सकती है। उपरोक्त अवधारणा को व्यवहार में परिणित करने के लिए महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के द्वारा 2014 में सांस्कृतिक समिति का गठन किया गया जिसके कार्य निम्नवत् हैं -
1. महाविद्यालय में सांस्कृतिक क्रिया-कलापों का समय-समय पर आयोजन किया जाना।
2. छात्र/छात्राओं को कार्यक्रमों में सहभागिता के लिए प्रेरित करना व उनकी अर्न्तनिहित प्रतिभा को विकसित करना।
3.अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को भारतीय एवं स्थानीय संस्कृति से परिचित कराना।
4.छात्र/छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास करना।
5.छात्र/छात्राओं को अभिव्यक्ति करने की दिशा में अग्रेसित करना।

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अल्पसंख्यक कमेटी

अल्पसंख्यक वर्ग के मुस्लिम, इसाई, सिक्ख, बौद्ध और पारसी छात्र/छात्राओं को पठन-पाठन में आने वाली समस्याओं के समाधान एवं उनके कल्याण तथा शैक्षणिक हितों को संरक्षित रखते हुए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी एवं उनके क्रियान्वयन को सुचारू रूप से सम्पादित करने हेतु महाविद्यालय में अल्पसंख्यक कमेटी जनवरी 2015 से कार्यरत है जिसके कार्य निम्नवत् हैं -
1. महाविद्यालय में अध्ययनरत अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं का विवरण तैयार करना।
2. उन्हें विभिन्न लाभकारी योजनाओं से परिचित कराना।
3. प्रवेश में वरीयता सुनिश्चित करना।
4. विभिन्न शैक्षिक एवं पाठ्य-सहगामी क्रिया-कलापों में भागीदारी कराना।

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खेल-कूद समिति

भारत के विकास में शारीरिक शिक्षा की विशेष भूमिका रही है, वास्तव में किसी विकसित देश की नींव उसके स्वस्थ नागरिकों द्वारा ही पड़ती है, युनेस्कों ने इस तथ्य पर जोर देते हुए कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक शिक्षा व खेल के प्रति पहुँच होना उसका मौलिक अधिकार है, जो उसके व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए वांक्षित ही नहीं बल्कि अनिवार्य हैं। महान दार्शनिक अरस्तू नेभी स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि “स्वस्थ शरीर में हीस्वस्थ्य मस्तिष्क का निर्माण होता है”, अतः विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए उनका मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना आवश्यक है, और मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने के लिए शारीरिक रूप् से स्वस्थ्य होना। हमारे भारतीय मनीषी विचारक स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा है कि भारत के विकास के लिए वर्तमान में “भगवद् गीता की इतनी आवश्यकतानहीं है जितनी की फुटबाल के मैदान की”। अतः खेलों के माध्यम से ही बालक का शारीरिक, बौद्धिक,सामाजिकव नैतिक शक्तियों का विकास किया जा सकता है, जिसको ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय में एक खेल-कूद समिति का गठन जनवरी 2015 में किया गया, जिसके मुख्य उद्देश्य निम्नवत् हैं-
1. छात्र/छात्राओं में खेल-कूद के प्रति रूचि उत्पन्न करना।
2. विद्यार्थियों को शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना।
3. उनकी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का विकास करना।
4. स्वानुशासन स्थापित करना।
5. तनाव प्रबन्धन कर छात्र/छात्राओं को तनाव मुक्त रखना।
6. आत्मविश्वास एवं आत्मसम्मान की भावना का विकास करना।
7. विभिन्न खेलों में उत्कृष्ठप्रदर्शन के लिए तैयार करना।
8. व्यक्तित्व के विकास के साथ विद्यार्थियों का सर्वागींण विकास करना।

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